कुछ इस तरह से.. दीपावली को मनाए...
कम से कम कुछ.. दिलों मे तो दिए जलाए...
लाखों के पटाखें अब तक... फोड़ दिए हैं हमने..
किसी झोपड़ी मे इस बार... कुछ पटाखें दे आए...
नही है जगह.. अलमारियों में.. कपड़े रखने को..
इस बार किसी ग़रीब के... तन ही को ढक जाए...
बिजलियों से रोशन हैं ...हमारे घरों की दरोंदीवारें...
किसी लाचार की जिंदगी को.. तो रोशन कर जाए...
लाखों तड़प के मरते हैं... सड़कों-हस्पतालों में हररोज़ ..
काश.......हम किसी एक की... जिंदगी तो बचा पाए...
गुनाह तो कर चुके है... इतने हिसाब है न कोई...
अब जीते जी कोई एक... सबाब तो कर पाए...
खुदा ने दी हैं हज़ारों नेमते... तो बने न खुद...खुदा...
कम से कम एक इंसान की... जिंदगी तो जी पाए....
आओ....इस बार कुछ इस तरह... दीपावली मनाए...
आओ इस बार...
कम से कम कुछ.. दिलों मे तो दिए जलाए...
लाखों के पटाखें अब तक... फोड़ दिए हैं हमने..
किसी झोपड़ी मे इस बार... कुछ पटाखें दे आए...
नही है जगह.. अलमारियों में.. कपड़े रखने को..
इस बार किसी ग़रीब के... तन ही को ढक जाए...
बिजलियों से रोशन हैं ...हमारे घरों की दरोंदीवारें...
किसी लाचार की जिंदगी को.. तो रोशन कर जाए...
लाखों तड़प के मरते हैं... सड़कों-हस्पतालों में हररोज़ ..
काश.......हम किसी एक की... जिंदगी तो बचा पाए...
गुनाह तो कर चुके है... इतने हिसाब है न कोई...
अब जीते जी कोई एक... सबाब तो कर पाए...
खुदा ने दी हैं हज़ारों नेमते... तो बने न खुद...खुदा...
कम से कम एक इंसान की... जिंदगी तो जी पाए....
आओ....इस बार कुछ इस तरह... दीपावली मनाए...
आओ इस बार...