A Humble Request to all

praveen taneja

Well-Known Member
#31
कुछ इस तरह से.. दीपावली को मनाए...
कम से कम कुछ.. दिलों मे तो दिए जलाए...
लाखों के पटाखें अब तक... फोड़ दिए हैं हमने..
किसी झोपड़ी मे इस बार... कुछ पटाखें दे आए...
नही है जगह.. अलमारियों में.. कपड़े रखने को..
इस बार किसी ग़रीब के... तन ही को ढक जाए...
बिजलियों से रोशन हैं ...हमारे घरों की दरोंदीवारें...
किसी लाचार की जिंदगी को.. तो रोशन कर जाए...
लाखों तड़प के मरते हैं... सड़कों-हस्पतालों में हररोज़ ..
काश.......हम किसी एक की... जिंदगी तो बचा पाए...
गुनाह तो कर चुके है... इतने हिसाब है न कोई...
अब जीते जी कोई एक... सबाब तो कर पाए...
खुदा ने दी हैं हज़ारों नेमते... तो बने न खुद...खुदा...
कम से कम एक इंसान की... जिंदगी तो जी पाए....
आओ....इस बार कुछ इस तरह... दीपावली मनाए...
आओ इस बार...
 

XRAY27

Well-Known Member
#32

praveen taneja

Well-Known Member
#33
मैंने कहा "अम्मा दीपक चाहिए"
बोली "ले जाओ बेटा"
मैंने कहा "सौ दीये चाहिए"
बोली "इतने क्या करोगे" ?
मैंने कहा "भारत भारती में स्कूल, मन्दिर, अस्पताल, गोशाला, खेती बाड़ी सभी है | सब मे लगायेंगे" |
बोली "अच्छा, फिर तो आप लोगों को भी गिनवाना पड़ेगा" |
पूरे दीपक झोले मे रखने के बाद मैंने अम्मा जी को सौ रूपये दिए तो बोली "बेटा खुल्ले नहीं है मेरे पास.."
मैंने कहा "अम्मा जी पूरे रख लो"
अम्मा बोली "नहीं..एक काम करो दस ओर रख लो, पूरे हो जायेंगे" |
====================
यही सच्चा भारतीय ग्राम्य जीवन है मित्रों | आप भी चायनीज चीजों का आकर्षण छोड़कर अपने ग्राम/शहर मे ही बने मिट्टी के दीपक ही खरीदें | अपने घर और गाँव मे बनी चीजें ही सबसे ज्यादा स्वदेशी होती है |
|| सब की दीपावली शुभ हो ||
 

Similar threads