ए भाई, ज़रा देख के चलो
आगे ही नहीं, पीछे भी
दायें ही नहीं, बायें भी
ऊपर ही नहीं, नीचे भी
ए भाई...
तू जहाँ आया है
वो तेरा
घर नहीं, गली नहीं, गाँव नहीं
कूचा नहीं, बस्ती नहीं, रस्ता नहीं
दुनिया है
और प्यारे
दुनिया ये सरकस है
और सरकस में
बड़े को भी, छोटे को भी, खरे को भी
खोटे को भी, दुबले भी, मोटे को भी
नीचे से ऊपर को, ऊपर से नीचे को
आना-जाना पड़ता है